जंगल का यह फल बना रोजगार का जरिया
जंगल का रसीला फल दे रहा रोजगार
कालाखेत , बगडवार आदि ऊचाँई वाले क्षेत्रों का काफल भिकियासैंण बाजार में एक सप्ताह से खूब बिक रहा है जो अनेकों लोगों का रोजगार का साधन बना हुआ है | 35 किमी दूर कालाखेत से यहां काफल बेचने आ रहा युवक प्रेम कुमार का कहना है कि काफल पेड़ से तोड़ने में काफी मेहनत लगती है एक घंटे में दो किलो भी तोड़ना मुश्किल होता है | बताया कि गांवों के लोग जंगल से काफल तोडते हैं उनसे खरीदकर लगभग बीस किलो बेचने के लिये ला रहा है काफल की फसल ठीक होने की वजह से एक सौ बीस रूपया किलो बिक रहा है | जिस दिन की ठीक ध्याड़ी निकल जाती है | प्रेम ने बताया वह हाईस्कूल पास है अपने परिवार की गुजर बसर काफल के अलावा खेतो में आलू , मूली , बिन, मिर्च , बैगन आदि उगाकर करता है इस कार्य में उसके घर के सभी सदस्य सहयोग करते हैं
भिकियासैण में 120 रुपया किलो बिक रहा है काफल
भिकियासैंण | पहाड़ का रसीला फल इन दिनों युवाओं के लिये रोजगार का साधन बना है 35 किमी दूर से बाजार में आ रहा काफल 120 किलो बिक रहा है |कालाखेत , बगडवार आदि ऊचाँई वाले क्षेत्रों का काफल भिकियासैंण बाजार में एक सप्ताह से खूब बिक रहा है जो अनेकों लोगों का रोजगार का साधन बना हुआ है | 35 किमी दूर कालाखेत से यहां काफल बेचने आ रहा युवक प्रेम कुमार का कहना है कि काफल पेड़ से तोड़ने में काफी मेहनत लगती है एक घंटे में दो किलो भी तोड़ना मुश्किल होता है | बताया कि गांवों के लोग जंगल से काफल तोडते हैं उनसे खरीदकर लगभग बीस किलो बेचने के लिये ला रहा है काफल की फसल ठीक होने की वजह से एक सौ बीस रूपया किलो बिक रहा है | जिस दिन की ठीक ध्याड़ी निकल जाती है | प्रेम ने बताया वह हाईस्कूल पास है अपने परिवार की गुजर बसर काफल के अलावा खेतो में आलू , मूली , बिन, मिर्च , बैगन आदि उगाकर करता है इस कार्य में उसके घर के सभी सदस्य सहयोग करते हैं
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