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केवी की तीन बसों को डीएम ने किया रवाना

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केन्द्रीय विद्यालय के अभिभावकों ने की विद्यालय के लिए बसों की व्यवस्था अल्मोड़ा- केवी अल्मोड़ा की अभिभावक संस्था ने विद्यालय के लिए लगाई  गई तीन बसों  को डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने हरी झंडी दिखाकर कर रवाना किया. इस मौके पर एआरटीओ आलोक जोशी भी मौजूद रहे. केएमओ परिसर मे आयोजित कार्यक्रम में उन्होने कहा कि यह पहल सराहनीय हैं इससे बच्चे विद्यालय में सुरक्षित पहुंच पाएंगे साथ ही अन्य विद्यालय भी इससे प्रेरणा लेंगें.    उन्होंने बसों का निरीक्षण भी किया और संचालकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए. इस मौके पर शिक्षक बी राम, सागर मेहता, संजय जोशी, राजा जोशी, किशन जोशी, निर्मल उप्रेती,सोनू गोस्वामी, नरेन्द्र बनैला, मयंक महरा,नरेन्द्र मोहन तिवारी, पंकज दुर्गपाल, बबीता भैसोड़ा, प्रमोद जोशी सहित अनेक लोग मौजूद रहे.

जंगल का यह फल बना रोजगार का जरिया

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जंगल का रसीला फल दे रहा रोजगार भिकियासैण में 120 रुपया किलो बिक रहा है काफल भिकियासैंण | पहाड़ का  रसीला फल इन दिनों युवाओं के लिये रोजगार का साधन बना है 35 किमी दूर से बाजार में आ रहा काफल 120 किलो बिक रहा है |     कालाखेत , बगडवार आदि ऊचाँई वाले क्षेत्रों का काफल भिकियासैंण बाजार  में एक सप्ताह से खूब बिक रहा है जो अनेकों लोगों का रोजगार का साधन बना हुआ है | 35 किमी दूर कालाखेत से यहां काफल बेचने आ रहा युवक प्रेम कुमार का कहना है कि काफल पेड़ से तोड़ने में काफी मेहनत लगती है एक घंटे में दो किलो भी तोड़ना मुश्किल होता है | बताया कि गांवों के लोग जंगल से काफल तोडते हैं उनसे खरीदकर लगभग बीस किलो बेचने के लिये ला रहा है काफल की फसल ठीक होने की वजह से एक सौ बीस रूपया किलो बिक रहा है | जिस दिन की ठीक ध्याड़ी निकल जाती है | प्रेम ने बताया वह हाईस्कूल पास है अपने परिवार की गुजर बसर काफल के अलावा खेतो में आलू , मूली , बिन, मिर्च  , बैगन आदि उगाकर करता है इस कार्य में उसके घर के सभी सदस्य सहयोग करते हैं
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देर से ही सही जागरुक हो रहा है पहाड़ चैत्राष्टमी मेला देघाट मे पहली बार नही की गई बकरे की बलि अल्मोड़ा- देघाट में सैकडो वर्षो से आयोजित होता आ रहा चैत्राष्टमी मेले मे प्रतिवर्ष सप्तमी की रात्री मे बकरो की बलि से कालरात्रि की पूजा होती थी तथा अष्टमी के दिन मे भैंसो की बलि की प्रथा रही लेकिन कुछ वर्षों से भैसों की बलि  तो नही हो रही थी लेकिन बकरे की बलि पूर्णतया बन्द नही हो पा रही थी इस वर्ष प्रशासन की मुस्तैदी से पहली बार बकरो की बलि नही हो सकी जबकी एक दर्जन बकरे बलि हेतु लोगों द्वारा लाए गए थे  लेकिन प्रशासन द्वारा लोगो को समझा बुझा कर बलि नही देने हेतु तैयार करने मे बडी जद्दोजहद करनी पर मन्दिर परिसर मे इस को लेकर काफी देर तक जद्दोजहद की स्थित बनी रही उपजिलाधिकारी गौरव चटवाल व थाना प्रभारी धर्मबीर सोलंकी बडी मात्रा मे पुलिस बल के साथ पूरी रात मन्दिर परिसर मे डटे रहे जिसमे मन्दिर समिति ने पूरा योगदान दिया

मंजिल पर पहुंचने की जल्दबाजी से निपटी 13 जिंदगियां

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Search for: Facebook   Twitter   Google +   Linkdin Home  / Blog / पौनेे चार घंटे में मौत में बदल गई 13 की जिंदगी, अल्मोड़ा में भयंकर बस हादसा अल्मोड़ा March 13, 2018 पौनेे चार घंटे में मौत में बदल गई 13 की जिंदगी, अल्मोड़ा में भयंकर बस हादसा अल्मोड़ा।  ताजगी भरी सुबह में यात्रा कर रहे 13 यात्रियों की जिंदगी महज पौने चार घंटे के अंतराल में मौत के मुंह में समां गई। केमू बस का सफर उनकी जिंदगी का आखिर सफर साबित हुआ। बस के खाई में गिरने से 13 लोगों की मौत से कर किसी को झकझोर कर रख दिया। कारणों का स्पष्ट पता नहीं लग पाया है। देघाट (अल्मोड़ा) से रामनगर (नैनीताल) जा रही केमू की बस टोटाम में गोलूधार के पास लगभग ढाई सौ मीटर नीचे खाई में जा गिरी दुर्घटना में करीब 13 यात्रियों के मारे जाने की सूचना है। तहसीलदार प्रताप राम टम्टा के अनुसार बस सुबह पांच बजे रामनगर (नैनीताल) के लिए रवाना हुई थी। दुर्घटना सुबह तकरीबन पौने नौ बजे हुई। बस में 25 लोग सवार थे। घायलों को रामनगर स्थित चिकित्सालय ले जाया जा रहा है। घटना स्थल तहसील मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर है

जन शून्य गांवों के बंजर रयासतें

किसी भूतिया इलाके से कम नहीं दिखता यह गांव अल्मोड़ा।  उत्तराखंड के पर्वतीय भू-भागों से निरंतर हो रहा पलायन राजनैतिक दलों व बारी-बारी से सत्ता में काबिज होने वाले भाजपा-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय दलों की उदासीनता के चलते महज एक राजनैतिक मुद्दा बनकर रह गया है। जिसकी बानगी ताड़ीखेत ब्लाक के खूंटधामस क्षेत्र के निकटवर्ती रूमा गांव में देखने में आई है, जहां पूरा का पूरा गांव ही खाली हो चुका है। यह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व विधायक व उप नेताप्रतिपक्ष करन महरा के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। ज्ञात रहे कि पलायन रोकने को प्रदेश में पलायन आयोग का भी गठन कर दिया गया है, लेकीन इसके कोई सार्थक परिणाम आज की तारीख में दिखाई नहीं दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रूमा गांव सड़क मार्ग लगभग सात किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए तीन किमी की खड़ी चढ़ाई चढऩी पड़ती है। 40 साल पहले यहां करीब 80 परिवार रहते थे, लेकिन बिजली, पानी, स्वास्थय, शिक्षा व सड़क जेसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां के वाशिंदे गांव से एक-एक करके पलायन करते रहे और देखते ही देखते पूरा का पूरा गांव खाली हो गया। अंतिम परिवार

शिक्षक दामाद ने शादी के 17 साल बाद दी तलाक की अर्जी तब पता लगा.....

प्रचार माध्यमों से  अल्मोड़ा-   यहां तहसील द्वाराहाट के जालली निवासी एक विधवा की विवाहिता पुत्री गत चार साल से अत्यंत संदिग्ध परिस्थितियों में लापता है। उसने ससुराल पक्ष पर अपनी पुत्री की हत्या कर देने का अंदेशा जताते हुए जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाई है। उसने आरोप लगाया है कि पहले पति व ससुराल पक्ष ने उसकी पुत्री की हत्या कर दी फिर अपना अपराध छिपाने को अब तलाक का केस दर्ज कर रहे हैं। यहां जिलाधिकारी को पुष्पा देवी पत्नी स्व. धन सिंह निवासी निवासी ग्राम सनजै, पोस्ट जालली (द्वाराहाट) बुधवाकर को मदद की गुहार लेकर डीएम कार्यालय पहुंची और उसने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन सौंपा। उसने अपनी फरियाद में कहा है कि वह अत्यंत गरीब महिला है। उसकी बेटी देवकी का विवाह रामबली चैधरी पुत्र रामनारायण मनकोरा से हुआ था। जो राजकीय इंटर कालेज जैनोली, पिलखोला में तब कार्यरत था से हुआ था। शादी के बाद उसके दो बच्चे भी हुए, जिनका नाम अशोक व शिवाजी है। बच्चों व पत्नी को लेकर वह वर्ष 2010 में अपने निवास ग्राम मनिकौरा, मझौवा बैकुण्ठ, बस्ती (उ.प्र.) ले गया। पुष्पा देवी ने कहा कि उनके दामाद रामबली का परिवार इस

संवैधानिक पैरोकार के असंवैधानिक बोल कहा हो रही है नीच पत्रकारिता.......

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अल्मोड़ा।  विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान की जुबान शनिवार को बुलाई गई प्रेस वार्ता में फिसल पड़ी। जब वह तमाम मीडिया कर्मियों के समक्ष अपनी बात रखते हुए अपने खिलाफ छपने वाले बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘नीच पत्रकारिता’ बोल बैठे। दरअससल, विगत दिनों पालिका विस्तार मामले में अपने खिलाफ छपे बयानों से असहज हुए उत्तराखंड विधानसभा उपाध्यक्ष इतना उखड़े कि अपनी ही बुलाई गयी पत्रकार वार्ता में उनके खिलाफ बयान छापने को नीच पत्रकारिता की संज्ञा दे बैठे। इसका वहां आये पत्रकारों ने तीव्र विरोध शुरू कर दिया। हंगामे के बीच पत्रकार प्रेस वार्ता का बहिष्कार करने तक को तैयार हो गये। हालत को भांपते ही चैहान को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह कहने लगे कि, ‘‘उन्होंने अपने खिलाफ बयान देने वाले लोगों को नीच कहा है, पत्रकारों को नही।’’ फिर काफी बहस के बाद जब वह अपने को डिफेंड नही कर सके तो मांफी मांगते नजर आये। यह मामला शाम के लगभग चार बजे के आसपास का है। विधानसभा उपाध्यक्ष व अल्मोड़ा के विधायक रघुनाथ सिंह चैहान ने यहां स्थानीय जोश्ज्यू होटल में एक प्रेस वार्ता आयोजित की थी। पत्रकारों ने जब उन